भारत में मेडिकल शिक्षा का अभूतपूर्व विस्तार: सरकारी अस्पताल होंगे शिक्षण संस्थान, विशेषज्ञ प्रोफेसर और नए कॉलेजों में स्नातक-स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू

भारत में मेडिकल शिक्षा का अभूतपूर्व विस्तार

24 सितंबर, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक फैसला लिया। इस फैसले के तहत 10,023 नई मेडिकल सीटें मंजूर की गई हैं, जो अगले चार वर्षों में 15,034 करोड़ रुपये के निवेश के माध्यम से सृजित होंगी। यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

स्नातक सीटों में 141% और स्नातकोत्तर सीटों में 144% की वृद्धि के साथ, मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2013-14 के 387 से बढ़कर 2025-26 में 808 हो गई है।

सरकारी अस्पताल अब शिक्षण संस्थान बनेंगे

नई नीति के अनुसार 220+ बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पतालों को अब शिक्षण संस्थान के रूप में नामित किया जा सकता है। यह कदम स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा दोनों में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

अनुभवी विशेषज्ञ प्रोफेसर बनेंगे

  • 10 साल के अनुभव वाले विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर बन सकते हैं।
  • 2 साल के अनुभव वाले विशेषज्ञ बिना सीनियर रेजीडेंसी के सहायक प्रोफेसर बन सकते हैं, बशर्ते वे बायोमेडिकल रिसर्च का बेसिक कोर्स पूरा करें।
  • एनबीईएमएस मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थानों में 3 साल के शिक्षण अनुभव वाले वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर बन सकते हैं।

इस नई व्यवस्था से चिकित्सा शिक्षा में अनुभवी विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी और गुणवत्ता में सुधार आएगा।

नए मेडिकल कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एक साथ

नई नीति यह भी अनुमति देती है कि नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्नातक (MBBS) और स्नातकोत्तर (MD/MS) पाठ्यक्रम एक साथ शुरू किए जा सकें। इससे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और शिक्षण संकाय की संख्या बढ़ेगी और अगले पांच वर्षों में 75,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटें सृजित करने की योजना को मजबूती मिलेगी।

लाभ और प्रभाव

  1. गुणवत्तापूर्ण और वैश्विक स्तर की शिक्षा – छात्रों को अधिक अवसर और बेहतर शिक्षा मिलेगी।
  2. वंचित समुदायों तक पहुंच – विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति से ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होगी।
  3. रोजगार के अवसर – डॉक्टर, संकाय, पैरामेडिकल स्टाफ, शोधकर्ता और प्रशासनिक कर्मचारी के लिए नई नौकरियां।
  4. समान बुनियादी ढांचा – केंद्र और राज्य में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे का संतुलित वितरण।
  5. सामाजिक और आर्थिक विकास – बेहतर स्वास्थ्य सेवा से सामाजिक-आर्थिक विकास मजबूत होगा।

भारत की चिकित्सा अवसंरचना: वर्तमान और भविष्य

आज भारत में 808 मेडिकल कॉलेज हैं। एमबीबीएस की सीटें 1,23,700 तक पहुँच चुकी हैं, जबकि स्नातकोत्तर सीटों में 43,041 की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 22 नए AIIMS को मंजूरी दी गई है, जिससे सस्ती और विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवा देशभर में उपलब्ध होगी।

10,023 नई मेडिकल सीटों की मंजूरी और सरकारी अस्पतालों को शिक्षण संस्थान बनाने की योजना भारत की सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाएगी, रोजगार के अवसर बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा केंद्र बनाने में सहायक होगी।

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