देहरादून। हाल ही में पंचायत चुनावों से संबंधित माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद सोशल मीडिया पर भ्रामक और तथ्यहीन सूचनाएँ तेजी से साझा की जा रही हैं। इन पोस्टों में पंचायत चुनावों को सीधे भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) से जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है। इस भ्रम को दूर करते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय उत्तराखंड ने स्पष्ट किया है कि पंचायत चुनावों का भारत निर्वाचन आयोग से कोई संबंध नहीं है।
संविधान में स्पष्ट है चुनावों का बंटवारा
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में स्पष्ट प्रावधान है कि भारत निर्वाचन आयोग देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्यों की विधानसभाओं और विधान परिषदों के साथ-साथ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों का संचालन करता है।
दूसरी ओर, संविधान के अनुच्छेद 243ट के अनुसार पंचायतों और नगर निकायों (Panchayats & Municipalities) के चुनावों की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोगों (State Election Commissions – SECs) पर होती है।
इस संवैधानिक व्यवस्था के तहत भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाएँ हैं, और इनकी कार्यप्रणाली स्पष्ट रूप से अलग-अलग निर्धारित की गई है।
अलग-अलग मतदाता सूचियाँ
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने यह भी बताया कि भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग की मतदाता सूचियाँ भी अलग-अलग होती हैं। भारत निर्वाचन आयोग समय-समय पर अपनी मतदाता सूची का पुनरीक्षण करवाता है, जबकि पंचायत एवं नगर निकाय चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अपनी स्वतंत्र मतदाता सूची तैयार करता है।
अफवाहों से सावधान रहने की अपील
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय उत्तराखंड ने जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों और गलत जानकारियों पर ध्यान न दें। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए संविधान ने हर स्तर पर जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा किया है।