महंगाई से राहत मिल गई है! जुलाई 2025 में भारत की खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 1.55% पर आ गई है। यह पिछले 8 सालों में सबसे निचला स्तर है, यानी जून 2017 के बाद इतनी कम महंगाई कभी नहीं देखी गई। जून 2025 में यह 2.10% थी, यानी सिर्फ एक महीने में ही यह 55 बेसिस पॉइंट कम हो गई। इस बड़ी गिरावट का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों का सस्ता होना, सरकार की अच्छी टैक्स नीतियां और इस साल का बढ़िया मॉनसून है।
📉 आखिर क्यों मिली इतनी बड़ी राहत?
खाने-पीने की चीजें हुईं सस्ती: जुलाई में सब्जियों की कीमतें 20% से ज्यादा कम हो गईं और दालें भी 14% तक सस्ती हुईं। इसका सीधा फायदा आपकी रसोई के बजट को मिलेगा।
सरकार के अच्छे फैसले: सरकार ने कुछ ज़रूरी चीजों पर GST में छूट दी, दालों और खाद्य तेलों पर लगने वाला आयात शुल्क (बाहर से सामान मंगाने पर टैक्स) कम किया। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) घटाने से भी कीमतें नीचे आईं।
अच्छा मॉनसून और सप्लाई में सुधार: इस साल अच्छी बारिश हुई है, जिससे फसलों की पैदावार भी अच्छी होने की उम्मीद है। जब बाजार में चीज़ों की पर्याप्त सप्लाई होती है, तो कीमतें अपने आप कंट्रोल में रहती हैं।
👨👩👧 जनता को क्या फायदा मिलेगा?
यह महंगाई में कमी आम आदमी के लिए कई अच्छी खबरें लेकर आई है:
किचन का खर्च घटेगा: सब्जियां, दालें और खाद्य तेल सस्ते होने से घर चलाने का खर्च कम होगा।
आवाजाही सस्ती होगी: पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटने से आपका गाड़ी से चलना और सामान का ट्रांसपोर्टेशन सस्ता होगा।
लोन सस्ते होने की उम्मीद: महंगाई कम होने पर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरें घटा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो आपके होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI (किश्त) कम हो सकती है, जिससे आपको बड़ी राहत मिलेगी।
त्योहारी सीजन में खरीदारी बढ़ेगी: कीमतें कम होने से आने वाले त्योहारों के सीजन में लोग ज्यादा खरीदारी कर पाएंगे, जिससे बाजार में रौनक लौटेगी।
💬 विशेषज्ञों की चेतावनी और आगे की चुनौतियां
हालांकि यह गिरावट खुशी देने वाली है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त में महंगाई थोड़ी बढ़ सकती है और लगभग 2% तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, अभी भी फल और तेल-वसा की कीमतें थोड़ी ऊंची बनी हुई हैं।
आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, दुनिया भर में व्यापार को लेकर तनाव और आयात शुल्क की नीतियां महंगाई को फिर से प्रभावित कर सकती हैं। सरकार और RBI को इन सब पर लगातार नज़र रखनी होगी ताकि यह राहत लंबे समय तक बनी रहे।