सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली में 10 साल से पुराने डीज़ल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने पारित किया।
कोर्ट में क्या हुआ – पूरी कार्यवाही
आज की सुनवाई में पीठ के सामने दिल्ली सरकार का एक आवेदन आया, जिसमें 2018 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण के उपाय के रूप में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगा दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने शुरुआती टिप्पणी में कहा –
“पहले लोग 40–50 साल तक कारों का इस्तेमाल करते थे। अब भी कई पुरानी गाड़ियां अच्छी हालत में हैं और चलने योग्य हैं।”
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 2018 का प्रतिबंध किसी वैज्ञानिक अध्ययन या पर्यावरणीय प्रभाव आकलन पर आधारित नहीं था, जबकि अब हालात बदल चुके हैं।
उन्होंने कहा –
“आज हमारे पास BS-VI मानक लागू हैं, पीयूसी सर्टिफिकेट का दायरा बढ़ चुका है और स्वच्छ ईंधन उपलब्ध है। ऐसे में सड़क पर प्रदूषण-रहित BS-VI इंजन वाली गाड़ियों को भी सिर्फ उम्र के आधार पर हटाना न तो तर्कसंगत है और न ही व्यावहारिक।”
दिल्ली सरकार की दलीलें
- वैज्ञानिक आधार का अभाव: 2018 का आदेश बिना किसी विस्तृत अध्ययन के पारित हुआ था।
- तकनीकी बदलाव: 2020 से BS-VI मानकों का पालन अनिवार्य है, जिससे प्रदूषण उत्सर्जन बेहद कम हुआ है।
- कम प्रदूषण योगदान: कई पुराने वाहन साल में बहुत कम चलते हैं और कुल प्रदूषण में उनका योगदान नगण्य है।
- आर्थिक असर: सेकेंड-हैंड कार बाज़ार को भारी नुकसान हुआ, जिससे गरीब और निम्न-मध्यम आय वर्ग के परिवार प्रभावित हुए।
- ईंधन और EV प्रोत्साहन: अब स्वच्छ ईंधन उपलब्ध है और इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
कोर्ट का अंतरिम आदेश
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया –
“जारी नोटिस का जवाब चार सप्ताह में दिया जाए। इस बीच, डीज़ल वाहनों के मामले में 10 साल और पेट्रोल वाहनों के मामले में 15 साल पुराने होने के आधार पर कार मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।”
मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
2018 का आदेश क्यों आया था?
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण के तहत दिल्ली और एनसीआर में 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से उठाया गया था, लेकिन अब दिल्ली सरकार का कहना है कि मौजूदा तकनीकी और नीतिगत बदलाव के चलते इस आदेश की समीक्षा आवश्यक है।