देहरादून का माहौल गुरुवार को कुछ खास था। पुलिस मुख्यालय के सभागार में उस दिन देश के उत्तरी हिस्से की कानून व्यवस्था की धड़कनें एक साथ धड़क रही थीं। मौका था Northern Region Police Coordination Committee (NRPCC) की 12वीं बैठक का, जिसकी मेजबानी इस बार उत्तराखण्ड पुलिस ने की। अध्यक्षता कर रहे थे राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ, जिन्होंने अपने बेबाक अंदाज़ में यह साफ़ कहा—“बेहतर समन्वय ही सुरक्षा की रीढ़ है।”
बैठक में हरियाणा से लेकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश, हिमाचल, दिल्ली और चंडीगढ़—सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने हिस्सा लिया। एक मंच पर इतने आला अधिकारी, और चर्चा के केंद्र में रहे ड्रग्स, साइबर अपराध, आपदा प्रबंधन, रेलवे सुरक्षा और आधुनिक तकनीक के उपयोग से पुलिसिंग को और सशक्त बनाने जैसे मुद्दे।
डीजीपी दीपम सेठ ने अपने उद्घाटन सम्बोधन में याद दिलाया कि NRPCC की स्थापना वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के अनुरूप हुई थी। उद्देश्य था—राज्यों के बीच बेहतर पुलिस सहयोग और साझा सुरक्षा रणनीति। उन्होंने कहा कि यह बैठक केवल चर्चा का मंच नहीं, बल्कि एक ऐसा “इंटेलिजेंस नेटवर्क” है जो उत्तरी भारत की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत नींव देता है।
बैठक के दौरान माहौल विचारशील था लेकिन ऊर्जा से भरा हुआ। हर वक्ता अपने राज्य की चुनौतियों और उपलब्धियों के साथ आगे आया। हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने साइबर क्राइम की नई तरकीबों और उससे निपटने की रणनीतियों पर विस्तार से बात की। उत्तर प्रदेश के रेलवे महानिदेशक प्रकाश डी ने रेलवे सुरक्षा पर विशेष ध्यान खींचा, वहीं दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त देवेश श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर बढ़ती फेक न्यूज़ और दुष्प्रचार से कानून व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को समझाया।
लद्दाख के डीजीपी एस.डी. सिंह जम्वाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पर्यटक पुलिस की भूमिका किस तरह एक भरोसेमंद सेतु बन सकती है। पंजाब के एडीजी नीलाभ किशोर ने ड्रग्स पर सख्त कार्रवाई और नई रणनीतियों की दिशा बताई।
उत्तराखण्ड की ओर से पुलिस अधीक्षक, सुरक्षा, श्री मंजूनाथ टी.सी. ने भारत-नेपाल सीमा प्रबंधन पर अत्यंत सारगर्भित प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि सीमा पार मानव तस्करी, अवैध व्यापार और ड्रग्स की गतिविधियाँ किस तरह सुरक्षा के लिए चुनौती बन रही हैं। साथ ही यह भी कि स्थानीय जनसहभागिता और तकनीकी निगरानी ही भविष्य की ठोस रणनीति होगी।
देहरादून में आयोजित इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण विषय रहा—महाकुंभ मेला 2027 की सुरक्षा तैयारी। रेलवे अवसंरचना से लेकर पर्यटक सुरक्षा तक हर बिंदु पर गहन चर्चा की गई। आपदा प्रबंधन पर हिमाचल के एसपी अर्जित सेन ठाकुर ने हाल की प्राकृतिक आपदाओं के अनुभव साझा किए और बेहतर तैयारी के मॉडल बताए।
बैठक के अंत में अपर पुलिस महानिदेशक (अभिसूचना एवं सुरक्षा) श्री ए.पी. अंशुमान ने सभी प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इस प्रकार के मंच न केवल राज्यों के बीच सहयोग को मजबूत करते हैं बल्कि राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा को नई दिशा देते हैं।”
देहरादून की इस बैठक ने यह साबित कर दिया कि जब उत्तरी भारत की पुलिस एक मंच पर आती है, तो सुरक्षा केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि साझा प्रतिबद्धता बन जाती है।