देहरादून/उत्तरकाशी।
उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में गुरुवार को एक प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला—स्कूल के यूनिफॉर्म में सजे छात्र-छात्राएं हाथों में बैनर लिए “तंबाकू मुक्त उत्तरकाशी” के नारे लगाते हुए निकले। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने जब ‘तंबाकू फ्री यूथ कैंपेन 3.0’ का शुभारंभ किया और छात्रों की रैली को हरी झंडी दिखाई, तो परिसर तालियों की गूंज से भर गया।
कार्यक्रम का मकसद केवल तंबाकू उन्मूलन नहीं, बल्कि युवाओं में एक नई सामाजिक चेतना जगाना था। जिलाधिकारी आर्य ने छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि “तंबाकू केवल एक व्यक्तिगत आदत नहीं, बल्कि सामाजिक नुकसान की जड़ है। इससे न केवल स्वास्थ्य बिगड़ता है, बल्कि समाज की उत्पादकता और नैतिक चेतना भी प्रभावित होती है।”
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने घर, स्कूल और समुदाय में इस अभियान को आगे बढ़ाएं ताकि उत्तरकाशी एक “तंबाकू मुक्त जनपद” के रूप में पहचान बनाए।
कार्यक्रम के दौरान 26वें विश्व दृष्टि दिवस पर भी नेत्र स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाई गई। जिला चिकित्सालय में आयोजित गोष्ठी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एस. रावत और फिजिशियन डॉ. प्रखर शर्मा ने बताया कि “तंबाकू का सेवन आंखों की रोशनी पर सीधा असर डालता है—कैटरेक्ट और रेटिना संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं।”
डॉ. शर्मा ने कहा कि “आज के युवाओं को यह समझना होगा कि आंखों की रोशनी जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही महत्वपूर्ण है जीवन की दृष्टि—और तंबाकू दोनों को अंधकार में ले जाता है।”
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एस. पांगती, विनोद कुमार समेत स्वास्थ्यकर्मियों, शिक्षकों और छात्रों ने सामूहिक रूप से तंबाकू मुक्त समाज का संकल्प लिया।
जागरूकता रैली और संवाद सत्रों के बाद जिलाधिकारी ने युवाओं की ऊर्जा की सराहना करते हुए कहा—“अगर उत्तरकाशी के युवा इस दिशा में नेतृत्व करें, तो यह जनपद पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण बन सकता है।”
इस कार्यक्रम ने न केवल स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि सरकारी पहल और युवाओं की सहभागिता मिलकर कितनी गहरी सामाजिक क्रांति ला सकती है।