नई दिल्ली। भारत सरकार ने बच्चों की सेहत को लेकर एक बेहद अहम और ऐतिहासिक फैसला लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट परामर्श (एडवाइजरी) जारी की है — 2 साल से छोटे बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएं किसी भी स्थिति में न दी जाएं और न ही डॉक्टर इन्हें लिखें।
यह कदम उस समय आया है जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी के सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की दुखद घटनाएं सामने आईं। केंद्र सरकार ने इसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट मानते हुए तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सख्त एडवाइजरी
मंत्रालय के अनुसार, खांसी और जुकाम की दवाएं 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सामान्य रूप से अनुशंसित नहीं हैं। छोटे बच्चों में इन दवाओं के दुष्प्रभाव गंभीर हो सकते हैं — जैसे सांस लेने में कठिनाई, उनींदापन, दौरे, या गुर्दे पर असर।
मंत्रालय ने डॉक्टरों को निर्देश दिया है कि अगर 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों को ये दवाएं दी जाती हैं, तो यह केवल सावधानीपूर्वक नैदानिक मूल्यांकन और कड़ी निगरानी के बाद ही होना चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला देर से सही, लेकिन बेहद आवश्यक था। भारत में माता-पिता अक्सर सर्दी-खांसी को साधारण बीमारी मानते हुए बच्चों को सिरप दे देते हैं, जबकि इन दवाओं में मौजूद रासायनिक तत्व कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकते हैं।
मध्य प्रदेश: कोल्ड्रिफ सिरप पर प्रतिबंध, फैक्ट्री की जांच जारी
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में नौ बच्चों की संदिग्ध मौत के बाद प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को बेहद दुखद बताते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर उस फैक्ट्री की जांच करने का अनुरोध किया है, जहां यह सिरप तैयार किया गया था।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय टीम मौके पर मौजूद है और नमूनों की फोरेंसिक जांच जारी है।
राजस्थान: कायसन फार्मा पर कड़ी कार्रवाई
राजस्थान में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत वितरित खांसी के सिरप के सेवन से दो बच्चों की मौत और कई अन्य के बीमार पड़ने की घटना के बाद सरकार ने ताबड़तोड़ एक्शन लिया है।
ड्रग कंट्रोलर निलंबित कर दिया गया है।
साथ ही कायसन फार्मा द्वारा आपूर्ति की गई सभी 19 दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी गई है।
राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसार, पिछले 13 वर्षों में कायसन फार्मा की 10,119 दवाओं के नमूनों में से 42 को घटिया पाया गया था।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि इस घटना में शामिल हर स्तर की जिम्मेदारी तय की जाएगी और किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।
देशभर में सतर्कता बढ़ाई गई
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देशित किया है कि वे बाजार में उपलब्ध सभी बच्चों की खांसी-जुकाम की दवाओं की गुणवत्ता की तुरंत जांच करें।
राज्य स्तरीय ड्रग कंट्रोलरों को सतर्क कर दिया गया है, और फार्मेसी स्तर पर रैंडम सैंपलिंग और फील्ड सर्विलांस शुरू कर दिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अब भारत में दवा सुरक्षा के नए युग की शुरुआत हो रही है — जहाँ केवल बीमारी नहीं, बल्कि बचपन की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
माता-पिता के लिए जरूरी चेतावनी
अगर आपका बच्चा दो साल से छोटा है और उसे खांसी-जुकाम है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। किसी भी स्थिति में स्वयं दवा न दें।
प्राकृतिक उपाय जैसे भाप लेना, हाइड्रेशन, और स्वच्छ वातावरण — छोटे बच्चों के लिए कहीं अधिक सुरक्षित और प्रभावी माने जाते हैं।
सरकार ने स्पष्ट कहा है — अब बच्चों की जिंदगी से कोई समझौता नहीं।