हरिद्वार, 30 सितंबर 2025:
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार “Recent Advancements in Panchkarma 2025” का उद्घाटन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने किया। दो दिवसीय इस सम्मेलन में देशभर के पंचकर्म विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, पतंजलि योगपीठ के कुलपति आचार्य बालकृष्ण, और सेमिनार अध्यक्ष प्रो. के. के. शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व शामिल हुए।
उद्घाटन समारोह में राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज पूरी दुनिया जीवनशैली-जनित रोगों, तनाव और पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में पंचकर्म पर आधारित यह सम्मेलन अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयुर्वेद और पंचकर्म में स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान निहित है और इसे वैश्विक मानकों तक पहुँचाने का प्रयास करना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक युग में पंचकर्म चिकित्सा लगातार विकसित हो रही है। अनेक संस्थान इसे नई तकनीक और औषधीय तैयारियों के साथ जोड़ रहे हैं। उन्होंने एविडेंस-बेस्ड रिसर्च और क्लीनिकल ट्रायल्स के माध्यम से पंचकर्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। राज्यपाल ने पूरे विश्व से भारत आने और उत्तराखण्ड को क्लीनिकल वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में अपनाने का आह्वान किया।
अपर सचिव (आयुष) विजय कुमार जोगदण्डे ने आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद में लंघन और उपवास की भूमिका को बताया और कहा कि शारीरिक बल से अधिक महत्वपूर्ण अंतःकरण का बल है।
कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पंचकर्म आयुर्वेद का मूल अंग है और उत्तराखण्ड में वेलनेस सेक्टर में अपार संभावनाएँ हैं। कार्यक्रम के दौरान अनुसंधान संकलन सोविनियर का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने पंचकर्म विभाग के अध्यक्ष प्रो. के. के. शर्मा को उनकी 37 वर्षों की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबा, एसपी पंकज गैरोला सहित अन्य अधिकारी और डॉक्टर्स उपस्थित थे।