गैरसैंण के अलावा रायपुर में तीसरी विधानसभा बनाए जाने की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने गैरसैंण को ही पूरी तरह स्थायी राजधानी के रूप में विकसित करने पर जोर दिया तो उक्रांद ने राज्य में सिर्फ गैरसैंण को ही स्थायी राजधानी के रूप में विकसित करने की वकालत की। वहीं, भाजपा का कहना है कि दून में अभी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विधानसभा भवन है।
उत्तराखंड में राज्य गठन के बाद देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाया गया था। इसके बाद अस्थायी राजधानी में ही अरबों रुपये खर्च कर रिस्पना पुल किनारे विधानसभा भवन का विस्तार किया गया। समय -समय पर इसी परिसर में करोड़ों का बजट खर्च नए परिसर विकसित किए गए।
इसी बीच गैरसैंण में 200 करोड़ का बजट खर्च कर विधानभवन का निर्माण किया गया। अभी यहां सचिवालय परिसर और कर्मचारी आवास का भी निर्माण होना है। 2016 के बाद यहां गैरसैंण में किसी भी प्रकार का कोई नया निर्माण नहीं हुआ।
इस बीच देहरादून रायपुर में जरूर एक तीसरे विधानसभा भवन को लेकर प्रयास तेज होते चले गए। वन विभाग को वन भूमि हस्तान्तरण का बजट उपलब्ध कराया गया। कागजी प्रक्रिया नियमित रूप से चलती रही। इसी तीसरे विधानसभा भवन के औचित्य पर राज्य में सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दल इस तीसरे विधानभवन को पूरी तरह गैरजरूरी ठहरा रहे हैं।
देहरादून में विधानसभा एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत चल रही है इसलिए रायपुर में जमीन चिह्नित की थी। यदि वन मंत्रालय ने इस पर कुछ आपत्ति की है तो सरकार इस संदर्भ में नीतिगत निर्णय लेगी। गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए कराया गया।