उत्तराखंड लोकसभा चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है। प्रदेश में जहां एक ओर भाजपा के स्टार प्रचारकों की ताबड़तोड़ जनसभाएं हो रही हैं, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं में सिर्फ प्रियंका गांधी की ही दो जनसभाएं हुई हैं। यही नहीं उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे बड़ेचेहरेहरीश रावत भी इस चुनाव में सिर्फ हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र तक सीमित नजर आ रहे हैं।
सवाल: भाजपा की स्टारवार का जवाब आप किस तरह दे रहे हैं?
जवाब: उनकी स्टारवार का जवाब हम अपने राज्य के लिटिल स्टार के साथ ही प्रियंका गांधी जैसी सुपरस्टार से दे रहे हैं। प्रियंका गांधी की रुड़की और रामनगर की जनसभाएं इसका उदाहरण हैं। ऋषिकेश में आयोजित प्रधानमंत्री की रैली में जहां उनके पूर्व सीएम तक सुस्ता रहे थे, वहीं प्रियंका गांधी की रैली को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह नजर आया।
सवाल: प्रियंका गांधी ने मतदाताओं से इस बार खुद के लिए वोट देने की अपील की है, क्या यह सोची समझी रणनीति है?
जवाब: भाजपा के राज में एक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग को ही लाभ हुआ है,इसलिए कांग्रेस आम लोगों की बात कर रही है। 2014 में हमारे खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल था, जिसका लाभ भाजपा को मिला। 2019 में भाजपा ने फिर लोगों के सामने एक स्वर्ण चित्र रखा, लोगों ने उन्हें फिर एक मौका देना ठीक समझा।
सवाल: चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से कांग्रेस को कितना नुकसान हुआ?
जवाब: भाजपा ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति का मुख्य हिस्सा ही दल बदल को बनाया हुआ है। सीबीआई, ईडी, आयकर के जरिए दबाव बनाकर और धन सम्पदा से चुनाव प्रभावित किया जा रहा है।
इसके अलावा भाजपा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार भी चलाती है। खासकर जब यूपी के साथ उत्तराखंड के चुनाव होते हैं तो यह खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। हालांकि अभी भाजपा ने ध्रुवीकरण का हथियार खुले तौर पर नहीं चलाया है।
सवाल: आप पर परिवारवाद का आरोप लग रहा, और अब आपकी क्या भूमिका रहेगी?
जवाब: परिवारवाद तब होता यदि मेरे बेटे राजनीति में नहीं होते। वीरेंद्र हरिद्वार में 15 साल से काम कर रहे हैं। भाजपा नेताओं के बेटे-बेटियां भी राजनीति में हैं और निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। केवल कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाना सही नहीं है।
मेरे परिवार के सदस्य यदि राजनीति में हैं तो एक समय के बाद उन्हें भी जनता के सामने जाने का हक है। जहां तक मेरी भूमिका का सवाल है तो समय निर्धारित करेगा, मैं यही चाहता हूं कि पार्टी में नई लीडरशिप उभरकर सामने आए। यह चुनाव नई पीढ़ी के लिए अच्छा मौका है
जवाब: हम कांग्रेस की गारंटियों के साथ स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में जा रहे हैं। स्थानीय मुददों में पलायन, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, अव्यवस्थित विकास, महिला सम्मान शामिल है। उत्तराखंड के लोग आशंकित हैं कि भू कानून के सरलीकरण से उनकी संस्कृति खतरे में है, हम इन सभी मुद्दों को उठा रहे हैं।
सवाल: लोकसभा चुनाव को लेकर आपका क्या आकलन है?
जवाब: कांग्रेस पांचों सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए जीत दर्ज करेगी। 2014 के बाद एक बड़ा बदलाव यह आया है कि लोग अब खुद हमसे संपर्क कर अपने क्षेत्र में चुनावी जनसभा, बैठक और प्रचार के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
सवाल आपकी बेटी विधायक बन चुकी हैं, बेटा भी सांसद का चुनाव लड़ रहा है, अब सीनियर रावत की क्या भूमिका रहेगी।
जवाब: जहां तक मेरी भूमिका का सवाल है तो यह समय निर्धारित करेगा, हो सकता है आगे मैं किसी एक जिला या एक सीट पर फोकस होकर रह जाऊं। पर मैं पार्टी की सेवा करता रहूंगा। वैसे भी मैं यह चाहता हूं कि पार्टी में नई लीडरशिप उभरकर सामने आए। यह चुनाव नई पीढ़ी के लिए अच्छा मौका है। सभी लोग बहुत अच्छा काम कर भी रहे हैं।
सवाल उत्तराखंड में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के चुनाव न लड़ने पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: यह एक बातचीत का बिन्दु हो सकता है पर कोई नेता चुनाव नहीं लड़ रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वो चुनाव प्रक्रिया से बाहर है। सभी वरिष्ठ नेता अपनी तरफ से चुनाव में योगदान दे ही रहे हैं। जहां तक प्रत्याशियों का सवाल है तो सभी अपने आप में संपूर्ण हैं।
गोदियाल में मुझे उत्तराखंड का भविष्य नजर आता है, जोत सिंह गुनसोला उत्तराखंडियत के प्रतीक हैं, प्रदीप टम्टा जीते तो देश को बड़ा शिल्पकार चेहरा मिलेगा। प्रकाश जोशी और वीरेंद्र रावत अभी युवा हैं, वो भविष्य में पार्टी के काम आएंगे। सभी लोग अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं।
सवाल आप पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं। अन्य प्रत्याशियों के लिए वक्त नहीं निकाल पाए, इस पर आप का क्या कहना है?
जवाब: सभी प्रत्याशी अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं गणेश गोदियाल अपने आप में सम्पूर्णता के साथ लड़ रहे हैं, अन्य प्रत्याशियों के लिए भी पार्टी के बाकी नेता दिन रात पसीना बहा रहे हैं, अपनी तरफ से उनके प्रचार में योगदान दे ही रहा हूं, समय मिला तो सबके प्रचार में जाने की कोशिश करूंगा।
कांग्रेस की पांच गारंटियां
1. हर शिक्षित युवा की पहली पक्की नौकरी और एक लाख की अप्रेंटिसशिप
2. एमएसपी को स्वामीनाथन फार्मूले के तहत कानूनी गारंटी मिलेगी
3. सामाजिक आर्थिक समानता के लिए जातीय जनगणना
4. हर गरीब परिवार की महिला को सालाना एक लाख रुपये
5. मनरेगा सहित सभी में न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन