पुलिस वांछित रहे हल्द्वानी हिंसा के आरोपी अब्दुल मलिक और उसके बेटे अब्दुल मोईद को गिरफ्तार करने के लिए जहां एक तरफ मुखबिर तंत्र का इस्तेमाल कर रही थी, वहीं हल्द्वानी हिंसा के फरार बाप-बेटे अपने खास मिलने वालों के जरिए एक-दूसरे को संदेश भिजवा रहे थे।
फरारी के दौरान दोनों ने आपस में संपर्क साधने का यही तरीका अपना रखा था। कुछ चुनिंदा लोग इन दोनों के बीच संवाद के दूत बने हुए थे। पुलिस ने ऐसे लोगों की तलाश शुरू कर दी है। मलिक और मोईद ने पुलिस सर्विलांस से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल एकदम बंद कर रखा था।
पुलिस जहां मुखबिर तंत्र का जाल बिछा रही थी, वहीं आरोपी पिता और बेटा खबरियों के सहारे अपनी योजना एक-दूसरे तक पहुंचा रहे थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मलिक और मोईद की गिरफ्तारी में सर्विलांस से सफलता की उम्मीद तभी खत्म हो गई थीढ।
जब पता चला कि दोनों आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। इसके बाद से पुलिस ने पूरी तरह से मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर रखा था। सूत्रों की मानें तो मलिक और मोईद के बीच करीब दो-तीन लोग ऐसे थे जो उनके दूत बतौर काम कर रहे थे।
पर्चियों के जरिए पहुंचा रहे थे अपनी बात
मामले में खबरियों की भूमिका की बात सामने आने पर जब पुलिस ने इसे और खंगाला तो कई और बातें भी निकलीं। हिंसा के बाद 18 दिन तक मलिक और 21 दिन तक मोईद फरार रहे।
सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत के 18 दिन तक कई बार ऐसा भी हुआ कि दोनों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान चिह्वी और पर्चियों के जरिए हुआ। हालांकि पुलिस इसकी जांच कर रही है।