राजस्थान की भजनलाल सरकार ने फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को टैक्स फ्री करने की घोषणा की है। सीएम भजनलाल शर्मा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस बारे में जानकारी देते हुए लिखा, हमारी सरकार ने द साबरमती रिपोर्ट फिल्म को राजस्थान में कर-मुक्त यानी टैक्स फ्री करने का सार्थक निर्णय लिया है। यह फिल्म इतिहास के उस भयावह काल-खंड को यथार्थ रूप में दर्शाती है, जिसे कुछ स्वार्थी तत्वों ने अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए विकृत करने का कुत्सित प्रयास किया। यह फिल्म न केवल तत्कालीन व्यवस्था की वास्तविकता को प्रभावशाली रूप से उजागर करती है, बल्कि उस समय के भ्रामक एवं मिथ्या प्रचार का भी खंडन करती है।
सीएम भजनलाल ने आगे लिखा, यह फिल्म न केवल तत्कालीन व्यवस्था की हकीकत को प्रभावशाली रूप से दिखाएगी, बल्कि उस समय फैलाए गए प्रोपेगेंडा का भी खंडन करती है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को फिल्म में संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया है। यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि अतीत का गहरा और विवेचनात्मक अध्ययन ही हमें वर्तमान को समझने और भविष्य के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।
तीन और राज्यों में हुई टैक्स फ्री
हरियाणा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान चौथा बीजेपी शासित राज्य है, जहां 15 नवंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई अभिनेता विक्रांत मैसी की फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को टैक्स-फ्री करने का निर्णय लिया गया है। धीरज सरना द्वारा निर्देशित यह फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और इसमें राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सांसद बैजयंत जय पांडा, अरुण सिंह और अनिल बलूनी समेत पार्टी के कई नेताओं के साथ मंगलवार को फिल्म देखी, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों ने समर्थन किया है। रविवार को पीएम मोदी (जो घटना के समय गुजरात के सीएम थे) ने द साबरमती रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि एक फर्जी कहानी केवल सीमित समय तक ही जारी रह सकती है।
गुजरात दंगों पर बनी फिल्म
27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर कार सेवक थे, जिससे गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे थे। गुजरात पुलिस ने आग लगाने के लिए मुस्लिम भीड़ को जिम्मेदार ठहराया था। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत रेल मंत्रालय द्वारा गठित एक जांच आयोग ने दावा किया था कि यह एक दुर्घटना थी। हालांकि, अदालतों ने पुलिस के आरोप को वैध बनाते हुए पुलिस द्वारा दायर किए गए कई आरोपियों को दोषी ठहराया।