संयुक्त निदेशक (कृषि) के नेतृत्व में जय नारायण व्यास कॉलोनी थाना इलाके में की गई छापेमारी में बड़े पैमाने पर नकली उर्वरकों (नकली जिंक, डीएपी एवं पोटाश) का अवैध निर्माण करते पकड़ा गया। यह धंधा कोई नया नहीं है। पिछले काफी वर्षों से यह खेल चल रहा है। इसमें बेबस किसान छले जा रहे हैं। नकली उर्वरक उनके उत्पादन को प्रभावित करता है। आश्चर्य यह है कि कार्रवाई के बाद भी इस धंधे पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
जयनारायण व्यास कॉलोनी थाना इलाके के जयपुर रोड स्थित मयूर विहार कॉलोनी में कृषि विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नकली उर्वरक की भारी खेप का भंडाफोड़ किया है। विभाग की टीम ने संयुक्त निदेशक (कृषि) के नेतृत्व में एक अवैध गोदाम पर छापा मारकर 305 कट्टों का जखीरा जब्त किया, जिसमें नकली डीएपी और अन्य उर्वरक शामिल थे। इस जब्ती के बाद कृषि विभाग ने जांच शुरू कर दी है कि इस नकली उर्वरक को कहां-कहां वितरित किया गया था और इस अवैध कारोबार के पीछे कौन-कौन शामिल हैं।
जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि के निर्देश के बाद हरकत में आए कृषि विभाग ने हाल ही में नकली उर्वरक के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए कई क्षेत्रों में छापेमारी की मुहिम शुरू की है। विभाग की इस कार्रवाई में अवैध रूप से संचालित हो रहे गोदाम में नकली डीएपी के साथ मोला सैज पोटाश के 50 बैग, सागरिका के तीन बैग और 1900 खाली बैग के साथ दो सिलाई मशीनों से पैकेजिंग करते हुए दस श्रमिकों को पकड़ा गया है। यह अवैध गोदाम प्लॉट बी 53 दयाल दान के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसे निकित लांबा पुत्र सत्यवीर सिंह लांबा हमीर बास झुंझुनू को किराए पर दिया गया था। उक्त प्लाट पर लांबा द्वारा अवैध भंडारण व पैकेजिंग का कार्य किया जा रहा था।
संयुक्त निदेशक (कृषि) कैलाश चौधरी ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य किसानों तक गुणवत्तापूर्ण उर्वरक पहुंचाना और नकली उत्पादों से उन्हें बचाना है। उन्होंने बताया कि इस तरह के नकली उर्वरक का इस्तेमाल फसलों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। कृषि विभाग ने मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है और साथ ही कृषकों से अपील की है कि वे केवल प्रमाणित दुकानों से ही उर्वरक खरीदें।