मुजफ्फरनगर में राधेश्याम मिश्रा को अंतिम विदाई: रस्म पगड़ी में उमड़ा विशाल जनसमूह

मुजफ्फरनगर के प्रतिष्ठित कारोबारी और समाजसेवी स्वर्गीय राधेश्याम मिश्रा की रस्म पगड़ी का आयोजन 12 अक्टूबर 2024 को देवलोक पैलेस, अलमासपुर रोड कूकड़ा चौक में किया गया। इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शहर भर से लोगों का विशाल जनसमूह उमड़ा, जिसमें प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक और व्यापारिक हस्तियों ने भाग लिया। स्वर्गीय राधेश्याम मिश्रा का निधन 1 अक्टूबर 2024 को हुआ था, जिससे मुजफ्फरनगर के व्यापारी समाज और स्थानीय लोगों में गहरा शोक फैल गया था।

स्वर्गीय राधेश्याम मिश्रा के पुत्र और समाजसेवी संजय मिश्रा ने इस रस्म का आयोजन किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। मिश्रा परिवार के लिए यह व्यक्तिगत शोक का समय था, लेकिन उनके पिता की लोकप्रियता और सामाजिक योगदान के कारण यह कार्यक्रम एक सामूहिक श्रद्धांजलि में तब्दील हो गया।

 

शुरुआती जीवन और संघर्ष की गाथा

स्वर्गीय राधेश्याम मिश्रा का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के लोसाल कस्बे में एक प्रतिष्ठित दाधीच परिवार में हुआ था। मात्र 16 वर्ष की आयु में, वे अपने सपनों को पूरा करने और एक बेहतर भविष्य की तलाश में मुजफ्फरनगर आए थे। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले राधेश्याम मिश्रा ने मुजफ्फरनगर में अपनी यात्रा एक सामान्य नौकरी से शुरू की। हालांकि, उनकी कड़ी मेहनत और मजबूत इच्छाशक्ति ने उन्हें जल्द ही साझा व्यापार की ओर अग्रसर किया, और उसके बाद उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय स्थापित किया।

 

राधेश्याम मिश्रा ने अपने व्यापारिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने अपने अथक प्रयासों और अद्वितीय दृष्टिकोण से सफलता के शिखर को छुआ। उन्होंने न केवल खुद के व्यापार को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि अपने परिवार और रिश्तेदारों की भी मदद की, जिससे उनका जीवन भी आर्थिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ हो सका। उनके नेतृत्व और सहयोग से उनके परिवार के कई सदस्य व्यापारिक और सामाजिक क्षेत्रों में सफल हो सके।

 

समाज और व्यापार में योगदान

 

राधेश्याम मिश्रा ने न केवल अपने व्यापार को आगे बढ़ाया, बल्कि समाजसेवा में भी अहम भूमिका निभाई। उनका मानना था कि सफल व्यक्ति वही है जो अपने आस-पास के लोगों को भी आगे बढ़ने में मदद करे। उन्होंने व्यापारिक समुदाय के भीतर एक ऐसा वातावरण बनाया, जहाँ हर किसी को आगे बढ़ने का मौका मिला। मिश्रा जी का योगदान व्यापारिक जगत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और परिचितों के जीवन को भी सवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

उनकी उदारता और समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें मुजफ्फरनगर में एक अत्यंत सम्मानित व्यक्ति बना दिया। उनके संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति ने उनके साथ सकारात्मक अनुभव प्राप्त किया और उनके जीवन से प्रेरणा ली।

 

राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

राधेश्याम मिश्रा की रस्म पगड़ी के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार और स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने विशेष रूप से भाग लिया और स्वर्गीय मिश्रा को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही भाजपा नेता गौरव स्वरूप, पूर्व विधायक अशोक कसेल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राकेश शर्मा, और पूर्व मंत्री महेश बंसल ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।

 

व्यापारी समाज से जुड़े प्रमुख व्यक्ति कृष्ण गोपाल मित्तल, श्याम सिंह सैनी, भारत भूषण, नवीन मक्कड़ भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। इन सभी ने राधेश्याम मिश्रा के व्यापारिक योगदान को याद करते हुए उन्हें नमन किया।

 

शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने की प्रशंसा

साहित्य और शिक्षा जगत के कई प्रमुख व्यक्तियों ने भी स्वर्गीय राधेश्याम मिश्रा के संघर्ष और सफलता की गाथा को याद किया। प्रख्यात साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा, एसएसजी पारीक कॉलेज के प्राचार्य एन एम शर्मा और शिक्षाविद योगेंद्र मोहन ने मिश्रा जी के जीवन की कठिनाइयों और उनकी सफलता को एक प्रेरणादायक कहानी बताया।

 

संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक यात्रा

 

राधेश्याम मिश्रा का जीवन संघर्ष, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक था। एक साधारण बालक के रूप में लोसाल से निकलकर, उन्होंने मुजफ्फरनगर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। नौकरी से शुरुआत करके, साझा व्यापार और फिर खुद का व्यवसाय खड़ा करने की उनकी यात्रा ने उन्हें व्यापारिक समुदाय का एक प्रमुख स्तंभ बना दिया। उनका समर्पण और उनके जीवन से जुड़े अनुभव सभी के लिए प्रेरणादायक हैं।

 

मिश्रा जी की रस्म पगड़ी के दौरान उपस्थित लोगों ने उनके संघर्ष और उनकी सफलता को एक प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया और उनके योगदान को हमेशा याद रखने का संकल्प लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *