भाजपा से पुनर्मिलन नहीं करेगी अकाली दल, वाम दलों के साथ महागठबंधन बनाने की तैयारी में बादल

सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अपना वोट बैंक फिर से हासिल करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है। पार्टी ने पंथ का समर्थन हासिल करने और सभी अकाली दल गुटों को एकजुट करने के प्रयास शुरू किए हैं। कभी लंबे समय तक पंजाब की सत्ता पर काबिज रही पार्टी के नेताओं को लगता है कि दशकों पुरानी पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन के लिए माहौल अनुकूल नहीं है।

द इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अकाली नेताओं का मानना है कि पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ अपना गठबंधन जारी रखेगी और सीपीएम और सीपीआई सहित वामपंथी दलों के साथ हाथ मिलाकर एक महागठबंधन बना सकती है। पिछले महीने, अकाली दल की 103वीं वर्षगांठ मनाई गई। इस मौके पर, सुखबीर बादल ने 2015 के बेअदबी मामलों में अपनी सरकार की “प्रशासनिक विफलताओं” के लिए माफी मांगी और पंथ की एकता का आह्वान करते हुए फिर से समर्थन मांगा। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के दोषियों को पकड़ने में विफल रहने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।

अकाली दल को हमेशा से सिखों से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों में उसे करारी हार मिली। इसके बाद से बादल परिवार पंथिक वोटों को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने शिअद (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान और सिख उपदेशक बलजीत सिंह दद्दूवाल जैसे कट्टरपंथी सिख नेताओं के साथ भी मंच साझा किया है। हाल ही में, बादल और एसजीपीसी अध्यक्ष ने दिवंगत अकाल तख्त जत्थेदार गुरदेव सिंह कौंके के परिवार से मुलाकात की और उन्हें पूरा समर्थन देने का वादा किया। गुरदेव सिंह कौंके के परिवार का दावा है कि छह पुलिस अधिकारियों ने उनकी हत्या कर दी थी।

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