कांग्रेस विधायक राजेन्द्र सिंह भंडारी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बीच अरसे से राजनीतिक मुकाबला रहा है। विधानसभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भंडारी का पहला सियासी मुकाबला नंदप्रयाग सीट पर भाजपा के महेंद्र भट्ट से हुआ था।
इसके अलावा बदरीनाथ सीट पर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी दो बार उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार के रूप में महेंद्र भट्ट से ही हुआ। अब सियासत के बदले समीकरणों के बीच भंडारी रविवार को भाजपा में शामिल हो गए। इससे कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।
सूत्रों की माने तो पिछले लोकसभा चुनाव में राजेंद्र भंडारी को कांग्रेस से गढ़वाल सीट से टिकट की उम्मीद थी। तब कांग्रेस ने मनीष खंडूड़ी को प्रत्याशी बना दिया था। अब खंडूड़ी भी कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र भंडारी ने तत्कालीन नंदप्रयाग सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। वह जीते और पहली बार विधानसभा में पहुंचे। तब मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। उस सरकार को निर्दलीय विधायक रूप में भंडारी का समर्थन मिला।
बदले में भंडारी को कैबिनेट में स्थान मिला। पहली बार विधायक बने और पहली बार में ही मंत्री बनने वाले भंडारी, उन गिने-चुने नेताओं में रहे, जिन्हें यह सौभाग्य मिला। बाद में परिसीमन के चलते नंदप्रयाग विधानसभा सीट खत्म हो गई थी और उधर, राजेन्द्र भंडारी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वो बदरीनाथ से कांग्रेस के टिकट पर जीते और विजय बहुगुणा सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बने। उसके बाद वो, हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में कृषि मंत्री रहे। 2017 के विस चुनाव में बदरीनाथ से महेंद्र भट्ट ने भंडारी को हराया था। इसके बाद वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर राजेंद्र भंडारी ने महेंद्र भट्ट को हराकर जीत हासिल की।
महेंद्र ने किया राजेंद्र का स्वागत
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राजेंद्र भंडारी के साथ आने का स्वागत किया। उन्होंने कहा-भंडारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत के सर्वांगीण विकास के संकल्प से प्रेरित होकर भाजपा में शामिल हुए हैं। भट्ट ने कहा कि राजनीति में व्यक्तिगत या वैचारिक तौर पर कोई स्थाई दुश्मन या स्थाई दोस्त नहीं होता। राजेंद्र भंडारी से वैचारिक मतभेद थे। अब हम साथ हैं।