महाकुंभ में हुए कोविड जांच के नाम पर फर्जी करने वालों ने पांच हजार रुपये खर्च कर एक ही झटके में करोड़ों रुपए कमाए हैं। पूर्व में हुई जांच में इसका खुलासा हो चुका है जब आरोपियों ने पांच हजार रुपये खर्च कर दिल्ली से मोबाइल नंबरों का डाटा लिया था। इसी डाटा को आईसीएमआर में अपलोड किया गया था।
हरिद्वार में कुंभ मेले में कोविड जांच के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। वहां एक जांच के लिए सरकार को लैब और एजेंसियों को 350 रुपए देने थे। जांच में पता लगा है कि इन एजेंसियों ने 4 लाख कोरोना टेस्ट किए, जिनमें 1 लाख से ज्यादा फर्जी हैं। इनमें भी 50 हजार से ज्यादा एक ही मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड किए गए। इसमें राजस्थान के हनुमानगढ़ के हजारों आईडी यहां के छात्रों और सरकारी कर्मचारियों की इस्तेमाल की गई।
एक एंटीजन परीक्षण किट से 700 सैंपल की टेस्टिंग
कुंभ के दौरान कम से कम 1 लाख जांच फर्जी की गईं। कई सैंपलिंग की जांच में सामने आया है कि एक ही एड्रेस से सैकड़ों लोगों की जांच की गई। इसमें कई फोन नंबर पर दिए गए पते फर्जी थे। कथित रूप से एक मामले में 50 हजार से अधिक लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक ही फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया। वहीं एक एंटीजन परीक्षण किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई।
हरिद्वार में जांच पता चला कि पते और नाम काल्पनिक थे। हरिद्वार में हाउस नंबर 5 से करीब 530 सैंपल लिए गए। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या एक घर में 500 से ज्यादा लोग रह सकते हैं?
तीनों आरोपियों पर धोखाधड़ी की धारा
आरोप है कि नोवस लैब संचालक, उसकी साझेदार डॉ. संध्या शर्मा और एक अज्ञात आरोपी ने मिलकर घोटाले को अंजाम देकर अनुचित लाभ उठाया। नगर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।