लड़ सकते हैं देश का कोई भी चुनाव .लेकिन प्रत्याशी नहीं चुन सकते, जानें कारण

जेल में बंद कैदी या बंदी चुनाव तो लड़ सकते हैं लेकिन अपने मताधिकार का प्रयोग करके किसी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान नहीं कर सकते हैं। जन प्रतिनिधित्व कानून,1951 की धारा 62 (5) के अनुसार, न्यायिक आदेश से जेल में बंद या पुलिस अभिरक्षा में होने वाले व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं है।

राज्य की 10 सामान्य जेलों में 6732 कैदी और बंदी बंद हैं। ये कैदी/बंदी आगामी 19 तारीख को प्रदेश की पांच सीटों के लिए होने वाले मतदान में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। हालांकि, जेल में बंद ऐसे व्यक्ति जो नजरबंद हैं या जिन पर एनएसए के तहत कार्रवाई हुई है, उन्हें मतदान का अधिकार है। इसके अलावा, गुंडा एक्ट और शांतिभंग की 107-116 और 151 की धाराओं में बंद कैदियों को भी वोट देने का अधिकार है। पड़ताल में पता चला है कि हल्द्वानी और नैनीताल जेल में ऐसे कैदी नहीं हैं।

2014 में जेल बंद एक व्यक्ति ने वोट देने का अधिकार मांगा था
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति ने मतदान करने की अनुमति मांगी थी। तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आईजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी। आईजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार नहीं होने की बात कही थी।

कहां कितने कैदी और बंदी
कारागार                          बंदी/कैदी
उप कारागार हल्द्वानी        1571
जिला कारागार देहरादून      1499
जिला कारागार हरिद्वार      1340
केंद्रीय कारागार सितारगंज    845
उप कारागार रुड़की              439
जिला कारागार अल्मोड़ा       354
जिला कारागार टिहरी          198
जिला कारागार पौड़ी            168
जिला कारागार नैनीताल      142
जिला कारागार चमोली         128
संपूर्णानंद शिविर सितारगंज   48

दिल्ली हाईकोर्ट भी कर चुका है टिप्पणी
2019 में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवीण कुमार चौधरी बनाम चुनाव आयोग मामले में कहा था कि मतदान का अधिकार कानूनी है औरकैदी चुनाव में वोट नहीं कर सकता है। कोर्ट ने माना कि वोट का अधिकार लोकतंत्र का मूल अधिकार है लेकिन कुछ आधारों पर इस अधिकार से वंचित भी किया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने धारा 62 (5) को उचित ठहराया था।

जेल में रहकर 2004 में चुनाव लड़ा था डॉन
अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन ओम प्रकाश श्रीवास्तव ”बबलू” 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। उस समय वह सलाखों के पीछे था। सीतापुर से अपना दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरा बबलू बरेली के सेंट्रल जेल में बंद था। कोर्ट से अनुमति के बाद बबलू ने कड़े पुलिसिया पहरे में सीतापुर आकर नामांकन किया था। इस चुनाव में बबलू हार गया था।

स्पेन, स्वीडन में कैदी डाल सकते हैं वोट
इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, रूस जैसे देशों में कैदियों को मतदान की इजाजत नहीं है। इसके उलट स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड और फिनलैंड में कैदियों को वोट देने की आजादी है। इटली और ग्रीस जैसे देशों में आजीवन कारावास काट रहे कैदियों को छोड़कर सभी कैदियों को मतदान करने का अधिकार प्राप्त है।

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