राजस्थान विधानसभा उपचुनावों की घोषणा हो चुकी है। मतदान 13 नवंबर को है। नामांकन की तारीख 25 अक्टूबर है। इससे पहले सभी दलों को टिकटों की घोषणा करनी होगी। झुंझुनू सीट की हलचलों पर निगाहें दिल्ली तक लगी हुई हैं। यह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का गृह जिला है और वे यहां से सांसद भी रह चुके हैं। कांग्रेस की तरफ से स्पष्ट संदेश आ रहा है कि ओला परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट मिलने वाला है लेकिन भाजपा से किसे टिकट मिलेगा, यह एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि यहां से टिकट मांगने वालों की तादाद अच्छी खासी है, हालांकि आने वाले कुछ दिनों खुलासा हो ही जाएगा कि भाजपा किसे दावेदार बनाने वाली है।
इस सीट के लिए भाजपा में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है, इसी के चलते संभावना इस बात की जताई जाने लगी है कि स्थानीय स्तर की गुटबाजी को देखते हुए पार्टी राज्य स्तर से किसी बड़े नेता को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है। पिछले दो चुनावों में गुटबाजी का नतीजा हम देख ही चुके हैं। 2018 में राजेंद्र भाभू को टिकट मिला तो बबलू चौधरी ने निर्दलीय ताल ठोंकी, नतीजतन वोट डिवाइड हुए और पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा, 2023 में बबलू चौधरी को बनाया भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया तब राजेंद्र भाभू ने ताल ठोंकी।
विपक्ष दल कांग्रेस में बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो टिकट की स्थिति लगभग साफ है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी मौजूदा सांसद बृजेन्द्रसिंह ओला की पत्नी पूर्व जिला प्रमुख राजबाला ओला, पुत्र अमित ओला या पुत्रवधू आकांक्षा ओला में से किसी को टिकट दिया जा सकता है। वैसे भी झुंझुनू उपचुनाव कांग्रेस टिकट से सांसद बनने के बाद बृजेन्द्रसिंह का विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण हो रहा है और ओला परिवार की गांधी परिवार में कितनी अच्छी पकड़ है, यह किसी से छिपी नहीं है। झुंझुनू सीट पर कांग्रेस से उनसे बड़ा नेता नहीं होने के कारण माना जा रहा है कि कांग्रेस ओला परिवार से ही किसी को प्रत्याशी बना सकती है।